Mene kab dard k zakhmo se shikayat ki hai
Haan mera jurm hai k maine mohabat ki hai
गुनाह मुझे मेरे सामने गिनवा दो
बस जब कफ़न में छुप जाऊ तो बुरा न कहना
सुना है आग लग गयी है बेवफाओ की बस्ती में
या खुदा मेरे मेहबूब की खैर रखना
कुछ पल के लीये ही मुझे अपनी बाहों में सुला लो
अगर आँख खुली तो उठा देना अगर ना खुली तो दफ़ना देना
खुशियों के बाज़ार में आया हूँ
तुम्हारे बिना हँसना भी एक गम लगता है
अरे कितना झुठ बोलते हो तुम
खुश हो और कह रहे हो मोहब्बत भी की है
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से खफा है तो ज़माने के लिये आ
रब रूठा है मुझसे !
तुझे माँगूं भी तो किस से ?
मुस्कुराने के अब बहाने नहीं ढूँढने पड़ते
तेरा नाम लेती हूँ ये तमन्ना भी पूरी हो
जाती हैं
Ab Humara Zikar ,
Hona Chahiye Ye Laila Majnu Ke ,
Kahaani Aakhir Kab Tak
तेरे गरूर को देख कर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने
ज़रा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह.....
तेरी ख्वाहिश कर ली तो कौन सा गुनाह किया
लोग तो इबादत में पूरी क़ायनात मांगते हैं खुदा से
वो जब सामने आये तो अजब हादसा हुआ
हर लफ्ज ए शिकायत ने खुदकुशी कर ली
हिसाब लगाकर देखा है मैने दुःख के कारण बस दो चार हैं
पर खुश रहने की वजहें इस दुनिया में कई हजार हैं
ज़िन्दगी का ये हूनर भी आज़माना चाहिए
जंग अगर अपनो से हो तो हार जाना चाहिए
er kasz
बुलंदी की उड़ान पर हो तो जरा सब्र रखो
परिंदे बताते हैं, आसमान में ठिकाने नहीं होते
er kasz
लोग पूँछने लगे हैं मुझसे मेरी उदासी की वजह
अगर हो इजाज़त तो तुम्हारा नाम बता दूँ
अजीब पैमाना है यहाँ शायरी की परख का
जिसका जितना दर्द बुरा शायरी उतनी ही अच्छी
सुनो एक वादा करोगी मुझसे क्या तुम उन पलो को हमेशा संभाल के रखोगी
जिन पलो में तुम मेरे साथ मुस्कुराई थी
दिल टूटा है तो अपनी ही गलती से
उस ने कब कहा था की तू मुहब्बत कर
G.R.S