गुनाह मुझे मेरे सामने गिनवा दो
बस जब कफ़न में छुप जाऊ तो बुरा न कहना
मिल जाएँगे हमारी भी तारीफ़ करने वाले
कोई हमारी मौत की अफ़वाह तो फैलाओ यारो
दिल की दुनिया कुछ इसतरह से उजडी है दोस्तोँ
कि उसने मोहब्बत का आदी बना कर प्यार करना छोड दिया
मेरे तो दर्द भी औरो के काम आते है
मै रो पडु तो कई लोग मुस्कराते है
बदन समेट के ले जाए जैसे शाम की धूप
तुम्हारे शहर से मैं इस तरह गुजरता हूँ
आज सूरज उदास बैठा है
तुम मेरी सुबह हो आ जाओ
एक साल लगती है, एक पल की जुदाई
ऐसा लगता है खा जाएगी, बिरह की परछाई
जख्मो को हरा रखना अच्छा लगता है
यही तो सबूत बाकि हैं तेरी मुहोब्बत के
गुलाब के फूल से गुलाब की डन्डी ली तोड़
इतनी मोहब्बत करके बेचारी रही छोड़
गरूर तो नहीं करता लेकिन इतना यक़ीन ज़रूर है
कि अगर याद नहीं करोगे तो भुला भी नहीं सकोगे
काश मै लौट पाऊँ बचपन कि उन गलियों में
जन्हा ना कोई ज़रूरी था ना कोई जरूरत
महोब्बत रहे या ना रहे
स्कुल की बेन्च पर तेरा नाम आज भी है
Kadam Ruk Se Gaye Hain Phool Biktey Dekh Kar Woh
Aksar Kaha Krta Tha Muhabbat Phool Jaisi Hai
दरवाज़ों के शीशे न बदलवा
लोगों ने अभी हाथ से पत्थर नहीं फेंके
ये तो बड़ा मुझ पर अत्याचार हो गया
खामख्वाह मुझे तुझसे प्यार हो गया
माना कि बहुत ख़ास हूँ मैं कुछ लोगो के लिए
लेकिन चन्द लम्हों से ज्यादा कोई ना रोयेगा मेरे गुजर जाने के बाद
मेरे हिस्से में न आयेगी कभी दिलदार की खुशिया
कुछ सख्स फकत शायरी करने के लिए ही पैदा होते है
तुम मुझे मोका तो दो साथ चलने का
थक जाओगी मेरी वफाओ क साथ चलते चलते
ऐ काश हमें आपका दीदार न होता
मै पागल ना होता बेकार न होता
दिल सुलगता है तो धुआं क्यों नहीं उठता
क्यों वो आग अक्सर आसुओं में बह जाती है