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अच्छा छोड़ो ये बहस और तक़रार की बातें

ये बताओ रात ख़्वाबों में क्यूँ आते हो

सब तेरी मोहब्बत की इनायत है

वरना मैं क्या मेरा दिल क्या मेरी शायरी क्या

er kasz

एक तो ये गर्मी और एक तुम

दोनो बहनें हो क्या जो इतना सताती हो हमे

खुद ही मुस्कुरा रहे हो साहिब

पागल हो या मोहब्बत की शुरूआत हुई है

er kasz

कही आदत ना हो जाये जिंदगी की,
इसलिए! रोज़ रोज़ थोड़ा थोड़ा मरते है हम...!!

कुछ तो बेवफाई मुझमे भी है

जिंदा हुँ तेरे बगैर

अगर किसी दिन रोना आये

तो कॉल करना हसाने की गारंटी नही देता हूँ पर तेरे साथ रोऊंगा जरुर

Alvida hote hue unse koi nishani mangi

wo muskurakar bole judai kafi nahi hai kya

मौत पर भी है यकीन उन पर भी ऐतबार है

देखते हैं पहले कौन आता है दोनों का इंतजार है

बदलेंगे नहीं जज़्बात मेरे तारीखों की तरह

बेपनाह प्यार करने की ख़्वाहिश उम्र भर रहेगी

अपने उसूल कभी यूँ भी तोड़ने पड़े खता उसकी थी

हाथ मुझे जोड़ने पड़े

सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये

वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है

नादान है बहुत जरा तुम ही समझाओ यार उसे

कि यूँ खत को फाड़ने से मोहब्बत कम नहीं होती

कोई हमे भी सिखा दो ये लफ्जों से खेलना

दर्द हमारे पास भी बेहिसाब है

ठान लिया था कि अब और नहीं लिखेंगे

पर उन्हें देखा और अल्फ़ाज़ बग़ावत कर बैठे

er kasz

बदनसीब मैं हूँ या तू हैं ये तो वक़्त ही बतायेगा..

बस इतना कहता हूँ अब कभी लौट कर मत आना....

भुला देंगे तुम को भी ज़रा सबर तो करो,

रग रग में बसे हो, कुछ वक़्त तो लगेगा..!

Ab tere naam se hi jaane jaate hain hum

naa jaane isey shohrat kehte hain ya badnaami

दिल की बातें जाकर के दिलदार को बताती

बड़ी ही खूबसूरती से अपनी ओकात छुपाती है

दोस्तों कह देना पगली से दिल की ज़िद हो तुम ऐ बेखबर

वरना बहुत सी हसींना देखी हैं इन आँखों ने भी

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